Ayodhya : श्री राम मंदिर उद्घाटन के दौरान यात्रा न करें मुस्लिमों की दुश्मन है भाजपा’, असम सांसद बदरुद्दीन अजमल के बिगड़े बोल

Ayodhya : श्री  राम मंदिर उद्घाटन के दौरान यात्रा न करें मुस्लिमों की दुश्मन है भाजपा’, असम सांसद बदरुद्दीन अजमल के बिगड़े बोल

मुसलमानों को सतर्क रहने को सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा। 20 जनवरी से 25 जनवरी तक मुसलमानों को  ट्रेन से यात्रा नहीं करनी चाहिए। जब श्री राम की मूर्ति राम जन्मभूमि पर रखी जाएगी, तो पूरी दुनिया इसकी गवाह बनेगी। लाखों लोग आने वाले हैं। भाजपा ने एक बड़ी योजना बनाई है। 

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों से 20 जनवरी से 25 जनवरी के बीच उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर यात्रा से बचने की अपील की है। कार्यक्रम के दौरान अजमल ने मुसलमानों को ट्रेन, बस या कार से बचने की सलाह दी और भाजपा को मुसलमानों का सबसे बड़ा दुश्मन बताया।

सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘हमें सतर्क रहना होगा। मुसलमानों को 20 जनवरी से 25 जनवरी तक ट्रेन से यात्रा नहीं करनी चाहिए। राम जन्मभूमि में राम मूर्ति रखी जाएगी, पूरी दुनिया इसकी गवाह बनेगी। लाखों लोग आएंगे। भाजपा की योजना बड़ी है। इस अवधि के दौरान, हमें ट्रेन से यात्रा नहीं करनी चाहिए और घर पर रहना चाहिए। भाजपा मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन है। भाजपा हमारी जान, हमारी आस्था, हमारी अजान की दुश्मन है।’

उन्हें दोहराया कि मुसलमानों ने भारत में लंबे समय से मुसीबत झेली है। अजमल ने कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की और कहा कि उन्होंने डी-वोटर सत्यापन और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की कोशिश की। उन्हें यह भी कहा कि मुसलमान वोट देने के बाद कांग्रेस से मिलने वाले लॉलीपॉप को भूल गए।

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Ayodhya: धर्म गुरुओं के सपने साकार करने के लिए बार-बार अयोध्या पहुंच रहे योगी आदित्यनाथ , 2017 के बाद 62 बार कर चुके है

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अयोध्या में एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि सीएम योगी हर बार यहां आते हैं और दर्शन-पूजन, संतों से मुलाकात और चर्चा के बाद 30 हजार करोड़ रुपये की चल रहीं योजनाओं और परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हैं।

2017 के बाद से, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 62 बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। योगी को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि वह इसे सियासी दृष्टिकोण से नहीं देखते, हालांकि कुछ लोग इसमें सियासी दृष्टिकोण देखते हैं। वह इसे चार पीढ़ियों के गोरक्षपीठ के सपनों को साकार करने का अवसर मानते हैं। यही कारण है कि वे अपनी पैराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

अयोध्या में एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि सीएम योगी हर बार यहां आते हैं और दर्शन-पूजन, संतों से मुलाकात और चर्चा के बाद 30 हजार करोड़ रुपये की चल रहीं योजनाओं और परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार चंद्रगोपाल पांडेय का कहना है कि कुछ लोगों ने योगी की सक्रियता को विधानसभा चुनाव से जोड़ा। लेकिन मुझे लगता है कि उनके संन्यासी और योगी होने की वजह से वे इतने सक्रिय हैं। 

महंत गोपालनाथ : जैसा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रदीप राव ने बताया, 1855 से 1985 तक गोरक्षपीठ का पीठाधीश्वर महंत गोपालनाथ महराज था। उनके पास क्रांतिकारी अमीर अली और आंदोलन में सक्रिय रहे बाबा रामचरणदास से बातचीत हुई। अमीर का विचार था कि हिंदुओं को जन्मभूमि मिलनी चाहिए। अमीर और रामचरणदास को अंग्रेजों ने बागी घोषित कर फांसी पर लटका दिया। बाबा गंभीरनाथ और ब्रह्मनाथ ने भी इसके लिए प्रयास किया।

महंत दिग्विजयनाथ: जब धर्मनिरपेक्षता का नारा उफान पर था, सीएम योगी के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने राममंदिर की बात की। हिंदुत्व की बात करने से चुनौतियों का सामना होता था। वह सड़कों से संसद तक आंदोलन की अनवरत आवाज बन गया। 1934 से 1949 तक चले आंदोलन को उन्होंने मजबूत आधार दिया।

महंत अवेद्यनाथ : 1984 में महंत अवेद्यनाथ श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का अध्यक्ष बन गए। उनके नेतृत्व में एक ऐसा आंदोलन शुरू हुआ, जो सामाजिक-राजनीतिक क्रांति का मूल था। मंदिर अब अवेद्यनाथ के शिष्य योगी की देखरेख में तेजी से बनाया जा रहा है।

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