ISRO: फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए संचार उपग्रह लॉन्च करेगी अंतरिक्ष एजेंसी

ISRO: फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए संचार उपग्रह लॉन्च करेगी अंतरिक्ष एजेंसी

जानें स्पेसएक्स की मदद क्यों ली जा रही

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस साल की दूसरी तिमाही में स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के माध्यम से 4.7 टन वजनी संचार उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। बुधवार को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने इसकी घोषणा की।

एनएसआईएल ने कहा कि GSAT-20 संचार उपग्रह का उद्देश्य देश की ब्रॉडबैंड, इन-फ्लाइट और समुद्री संचार (आईएफएमसी) और सेलुलर बैकहॉल सेवाओं की जरूरतों को पूरा करना है। जीसैट-20 में का-का बैंड एचटीएस (हाई थ्रूपुट सैटेलाइट) क्षमता होगी, जिसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह व लक्षद्वीप सहित पूरे देश को कवर करने वाले 32 बीम होंगे। इसे GSAT-N2 नाम दिया जाएगा।

उसने आगे कहा, “GSAT-20 उपग्रह पर लगी HTS क्षमता का बड़ा हिस्सा पहले ही भारतीय सेवा प्रदाताओं द्वारा सुरक्षित रखा गया है।”इसरो का भारी उपग्रह GSLV-MK3 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) चार हजार किलोग्राम के पेलोड को कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। इसलिए, उसे फाल्कन 9 रॉकेट की लॉन्च सेवाएं स्पेसएक्स एजेंसी से लेनी पड़ी।  

NSEL ने एक बयान में कहा, “एनएसआईएल इसरो के जरिए GSAT-20 उपग्रह का निर्माण कर रहा है और इसे NSL और SpaceX के बीच प्रक्षेपण सेवा अनुबंध के तहत फाल्कन-9 से प्रक्षेपित किया जाएगा।”स्पेसएक्स का फाल्कन-9 जीटीओ 8,300 किलोग्राम का पेलोड रख सकता है।

अब तक, इसरो भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए फ्रांसीसी कंपनी एरियनस्पेस का उपयोग करता रहा है। अब इसरो अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) बना रहा है, जिसमें 10 हजार किलोग्राम का पेलोड जीटीओ में डाला जा सकेगा। 4,700 किलोग्राम वजन वाले GSAT-20 में लगभग 48 जीबीपीएस HTS क्षमता है। उपग्रह विशेष रूप से दूरस्थ और असंबद्ध क्षेत्रों की सेवा की मांग को पूरा करने के लिए बनाया गया है।

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