Maldives: क्या चीन के लिए ऐसे दावे कर रहे हैं मालदीव के मंत्री? ड्रैगन ने पट्टे पर लिखवा रखे हैं कई द्वीप

Maldives: क्या चीन के लिए ऐसे दावे कर रहे हैं मालदीव के मंत्री? ड्रैगन ने पट्टे पर लिखवा रखे हैं कई द्वीप

मालदीव के मंत्री अब्दुल्ला मोहजुम माजिद ने लिखा, “मैं मालदीव के पर्यटन को शुभकामनाएं देता हूँ, लेकिन भारत के पर्यटन को हमारे बीच पर्यटन से कड़ी टक्कर मिलेगी।” इनके पूरे निर्माण से हमारा रिजॉर्ट निर्माण अधिक है।इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी भी टैग किए गए हैं। हमारा रिजॉर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर ही इनके पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर से ज्यादा है।

मालदीव के कुछ नेता और मंत्री जो  भारत को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से कई चीन ने पट्टे पर लिए हैं। चीन की अगले पांच दशक की रणनीति इन द्वीपों पर निर्भर करेगी। मालदीव इन द्वीपों में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मालदीव के मंत्री चीन की ओर देख रहे हैं या नहीं। 

वास्तव में, मालदीव में चीन की ओर से पट्टे पर दिए गए कई द्वीपों की सूचना सामने आने के बाद देश में सियासी हलचल मची है। स्थानीय लोग वर्तमान सरकार को घेर रहे हैं क्योंकि चीन ने उनके द्वीपों को छीन लिया। साथ ही, मालदीव को डर है कि चीन ने उसे अरबों डॉलर का कर्ज दिया है, जो उसकी अर्थव्यवस्था को गिरा सकता है, जो पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह हो सकता है। 

विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि मालदीव के मंत्रियों ने भारत को निशाने पर लेते हुए द्वीपों की सियासत की है। वह उनकी निजी समस्या है। विदेशी मामलों के जानकार और भारतीय विदेश सेवा से जुड़े रहे आलोक सिन्हा का कहना है कि मालदीव की वर्तमान सरकार के मंत्री और नेता प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप की तस्वीर सामने आने के बाद चीन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाने में लग गए हैं। 

उनका दावा है कि चीन ने मालदीव में बहुत सारे निवेश किए हैं। सिन्हा  कहते हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप की तस्वीर और पर्यटन की बात कही, तो मालदीव को लगा कि उसकी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी, क्योंकि देश की बड़ी अर्थव्यवस्था पर्यटन से अधिक प्रभावित है। 

मालदीव के मंत्री अब्दुल्ला मोहजुम माजिद ने लिखा, “मैं मालदीव के पर्यटन को शुभकामनाएं देता हूँ, लेकिन भारत के पर्यटन को हमारे बीच पर्यटन से कड़ी टक्कर मिलेगी।” इनके पूरे निर्माण से हमारा रिजॉर्ट निर्माण अधिक है।इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी भी टैग किए गए हैं।

मालदीव के एक और नेता जाहिद रमीज ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लक्षद्वीप में पर्यटन बढ़ाने को लेकर कहा, “बेशक यह अच्छा कदम है, लेकिन हमसे प्रतिस्पर्धा करना एक भ्रम ही है।” ब्रिगेडियर पीएन राणा, विदेश मामलों का जानकार, कहते हैं कि मालदीव के दोनों नेताओं के बयान चीन का दबाव बताते हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मालदीव की मंत्री मरियम शिउना की नियुक्ति से नाराज हो गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि मालदीव के मंत्री लक्षद्वीप के बहाने चीन को प्रसन्न करने में लगे हैं। क्योंकि मालदीव चीन के कर्ज से बहुत प्रभावित है। जानकारी के अनुसार, 2014 में चीन के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान चीन-मालदीव का एक मैत्री पुल बनना शुरू हुआ. इसके अलावा, चीन ने मालदीव को तकरीबन 17 द्वीपों को पर्यटन के लिए विकसित करने के लिए करीब 400 अरब डॉलर का कर्ज दिया, जो अगले 50 साल के लिए उन्हें पट्टा कर दिया गया था। 

मालदीव के लोगों को यह बहुत बाद में पता चला। चीन के विदेश मामलों के जानकार लेफ्टिनेंट कर्नल विजय दहिया का कहना है कि 2014 में मालदीव में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे से मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था चीन के नियंत्रण में आ गई। वह बताते हैं कि चीन ने मालदीव में अपना नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश करते हुए 2018 तक लगभग दो बिलियन डॉलर का कर्ज मालदीव पर लगाया था। 

कर्नल दहिया कहते हैं लक्षद्वीप तो महज एक बहाना है। वर्तमान सरकार चीन की इतनी ज्यादा दबाव में है कि प्रधानमंत्री मोदी के अपने देश के दौरे पर ही वहां के मंत्री और नेताओं के होश उड़े हैं।

वह कहते हैं कि चीन ने मालदीव में अरबों डॉलर का कर्जा देना शुरू कर दिया और पूरे विकास मॉडल का खाका खींच लिया। इसकी शुरुआत मैरिटाइम सिल्क रोड के बड़े सौदे से हुई थी। फिर चीन ने मालदीव में जलवायु परिवर्तन, पर्यटन, स्वास्थ्य और सूचना तकनीकी क्षेत्रों में भारी निवेश करना शुरू किया। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि 2015 में मालदीव के पर्यटन मंत्री मूसा जकीरम ने चीन की एग्जिम बैंक से 400 मिलियन डॉलर का क्रेडिट लोन लिया था। 

इसी सरकार के दौरान चीन ने मालदीव में बनाए जाने वाले 11000 अपार्टमेंट के लिए लगभग 600 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया, साथ ही नए द्वीपों पर बिजली ग्रिड के लिए 200 मिलियन डॉलर का भी कर्ज दिया। यही नहीं, चीन ने मालदीव को इब्राहिम नासिर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 500 मिलियन डॉलर का कर्ज भी दिया। आंकड़े बताते हैं कि चीन ने माले चाइना फ्रेंडशिप ब्रिज के लिए भी लगभग 300 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया था। मालदीव को डर है कि अगर उनकी अर्थव्यवस्था बिगड़ गई तो कहीं वह भी पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह हो जाए।

यह भी पढ़े –

Aditya L1: लैग्रेंज बिंदु पर कैसे पहुंचा आदित्य-एल1, 120 दिन के लंबे सफर के बाद अब आगे क्या ?

Ayodhya : श्री राम मंदिर उद्घाटन के दौरान यात्रा न करें मुस्लिमों की दुश्मन है भाजपा’, असम सांसद बदरुद्दीन अजमल के बिगड़े बोल

 

 

Leave a Comment

%d